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लेखनी कहानी -05-Jan-2023 ऑपरेशन ऑलआउट

सचिवालय में एक हाई लेवल की मीटिंग चल रही थी जिसमें मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, सेना के लेफ्टिनेंट जनरल , आई बी , बी एस एफ और सी आर पी एफ के स्टेट हेड उपस्थित थे । मीटिंग राज्यपाल महोदय ले रहे थे । पिछले कई दिनों से "टार्गेट किलिंग" की अनेक वारदातें हो रही थीं जिनसे आम जनता भयभीत थी , विशेषकर देश का बहुसंख्यक समुदाय । इसीलिए यह हाई लेवल मीटिंग बुलाई गई थी । राज्य की स्थिति पर चिंता जताते हुए राज्यपाल बोले "राज्य के हालातों की जानकारी आप सभी को भलीभांति है इसलिए मैं इस पर बात नहीं करूंगा । आज बहुसंख्यक समुदाय भयभीत है । मैं तो यह कहना चाहता हूं कि भय आम नागरिकों में नहीं अपितु अपराधियों में होना चाहिए । ये अपराधी चाहे आतंकवादी हों या अन्य कोई भी हों , इनमें इतना आतंक पैदा कर दो कि ये कोई भी घटना को अंजाम देने से पहले उस पर दस बार सोचें । इस पर तभी लगाम लग पायेगी अन्यथा लोग ऐसे ही शिकार होते रहेंगे " । 

मीटिंग में सन्नाटा व्याप्त हो गया । सब अधिकारी चुपचाप एक दूसरे को देखते रहे । महामहिम राज्यपाल महोदय इस खामोशी से और बौखला गये । थोड़ा चिढ़कर बोले 
"खामोश रहने से काम नहीं चलेगा , ठोस नीतियां और शीघ्र तथा दृढ़ क्रियान्वयन से ही हम लोग "टार्गेट किलिंग" पर विजय पा सकेंगे । डी जी पी साहब, आपके पास इसके विरुद्ध कोई योजना हो तो बताऐं" । 

"सर, योजना तो एक ही है । इन नृशंस हत्यारों का एनकाउंटर किया जाये।  लेकिन आजकल पुलिस का मोरेल बहुत "लो" हो गया है । हर एनकाउंटर को उच्च या उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जाने लगी है । ये न्यायालय उस एनकाउंटर पर एक पैरेलल जांच किसी रिटायर्ड जज की अध्यक्षता वाली एस आई टी से करवाते हैं और पुलिस अधिकारियों से उल्टे सीधे सवाल करके उन्हें जलील करते हैं । इससे डरकर आजकल पुलिस ऑफिसर एनकाउंटर करना तो दूर उसके बारे में सोचते तक नहीं है । पचास पचास हत्याऐं करने वाला अपराधी भी जब जमानत पर छूट जाता है तब पुलिस का मोरल बहुत डाउन हो जाता है । एक आतंकवादी को भी सजा दिलवाना आजकल बहुत मुश्किल हो गया है । उसके पक्ष में अनेक तथाकथित मानवाधिकारवादी खड़े हो जाते हैं । कोई आतंकवादियों को मासूम तो कोई उन्हें मास्टर का बेटा कहकर उनके पक्ष में सुहानुभूति अभियान चलाता है और पुलिस तथा सेना को गली का गुंडा तक कह देता है । ऐसी स्थिति में इनका एनकाउंटर तो किया नहीं जा सकता है इसलिए उन्हें पकड़ने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है" । डी जी पी ने कहा ।

"आई बी का सूचना तंत्र थोड़ा और ठीक करो । कुछ सूचनाऐं समय पर आ जाती हैं मगर कुछ सूचनाऐं समय से नहीं आ पाती हैं इसलिए ये आतंकी वारदात करने में सफल हो जाते हैं । बॉर्डर पर भी चौकसी बढाने की आवश्यकता है । कुछ पाकिस्तानी आतंकवादी बॉर्डर क्रॉस  कैसे कर लेते हैं ? फेन्सिंग के साथ साथ बॉर्डर पर सशस्त्र जवान भी तो तैनात हैं, फिर भी पाकिस्तानी आतंकी यहां कैसे घुस जाते हैं ?  इसका मतलब है कि हमारे कुछ जवान इन भाड़े के टट्टुओं के साथ मिलकर पैसों के लोभ लालच में इन्हें अंदर घुसने की वारदात कर जाते हैं । ऐसे गद्दार जवानों को भी एनकाउंटर में मारना पड़ेगा और इन आतंकियों को पनाह देने वालों को भी बम से उड़ाना पड़ेगा, तब जाकरहम इन पर अंकुशलगा पायेंगे" । महामहिम का चेहरा क्रोध से लाल हो गया । 

मीटिंग में अभी इस पर विचार हो ही रहा था कि महामहिम के निजी सहायक ने एक पर्ची महामहिम के सम्मुख रख दी । पर्ची पर लिखा था "अभी अभी घाटी में चार हिन्दुओं की टार्गेट किलिंग कर दी गई है" । यह खबर जानकर महामहिम का पारा सातवें आसमान पर चढ गया और जोर जोर से बोलते हुए कहने लगे 
"माना कि आजकल न्यायालयों का दखल हर जगह बहुत ज्यादा हो गया है , मगर कोई तो रास्ता निकालना होगा । मैं उन पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता मगर मैं यह अवश्य कहूंगा कि इन भेड़ियों को ऐसा मजा चखाओ कि इनकी सात पुश्तें याद रखें । और हां, न्यायालयों द्वारा जारी प्रक्रयाओं का पूर्ण पालन करना है" । मीटिंग समाप्त हो गई  । 

महामहिम अपने कक्ष में आ गये । घटना की विस्तृत जानकारी ली गई । इस घटना में कुछ आतंकवादियों ने एक बस को रुकवा लिया था और इन आतंकवादियों ने सब सवारियों से अपना आधार कार्ड निकालने को कहा । आधार कार्ड के आधार पर उन्होंने एक समुदाय के लोगों की छंटनी कर ली और बाद में उनका गला रेत दिया । फिर बस को जाने दिया गया । इस तरह से एक समुदाय के लोगों को जानबूझकर मारा गया था । 

घटना बहुत भयानक थी और उद्देश्य भी स्पष्ट नजर आ रहा था । थोड़ी देर में पी एम ओ से भी फोन आ गया और महामहिम राज्यपाल को दिल्ली तलब कर लिया गया । 

न्यूज चैनलों पर ब्रेकिंग न्यूज चलने लगी । कुछ एजेण्डाधारी चैनल इसे सरकार की भयानक विफलता साबित करने में लगे हुए थे और राज्य में सन 1990 का दौर लौटने की भविष्यवाणी कर रहे थे । कुछ तो यहां तक कहने लग गये थे कि धारा 370 खत्म करने का निर्णय बहुत ही अदूरदर्शी था जिसके परिणाम अब सामने आ रहे हैं । दरअसल ये न्यूज चैनल्स देश के लिए नहीं अपितु पैसों के लिये ऐसी रिपोर्टिंग करते हैं । बहुत से तथाकथित पत्रकार पाकिस्तान का एजेण्डा अपने चैनल्स पर चलाते हैं । वे वही भाषा बोलते हैं जो पाकिस्तान बोलता है । इन चैनल्स और पाकिस्तान के बीच क्या कनेक्शन है, यह अब सबको पता चल चुका था । इन चैनल्स के विरुद्ध कोई भी कार्यवाही करने से सरकार अब तक बचती रही है । "अभिव्यक्ति की आजादी" के नाम पर इन्हें सुरक्षा कवच कौन मुहैया करा रहा है, जनता यह सब जानती है । 

केन्द्र सरकार ने राज्यपाल को चेता दिया कि यह सब सोची समझी साजिश का हिस्सा है । इस साजिश में न केवल पाकिस्तान अपितु चीन भी शामिल है । इसकी घोषणा अभी कुछ दिनों पहले सेकुलर्स और लिबरल्स के "लाडले" ने कर ही दी थी । संभवत : यह लाडला पाकिस्तान और चीन से सीधी "हॉटलाइन" से जुड़ा हुआ है । तभी तो वह इन दोनों देशों से संपर्क बनाए हुए है । 

मीडिया को भी यही काम सौंपा गया है कि वह सरकार विरोधी समाचार लगातार चलाये और जनता में एक माहौल खड़ा किया जाये कि वर्तमान सरकार काश्मीर में बुरी तरह से विफल हो रही है और काश्मीर के हालात सन 1990 से भी अधिक विकट हो गये हैं । जब "काश्मीर फाइल्स" सिनेमाघरों में आई थी तब यही सेकुलर्स, लिबरल्स, विपक्षी लोग और कुछ बॉलीवुड के भांड उसे बकवास, कोरी गप्प और झूठ का पुलिंदा बता रहे थे और ऐसे नरसंहार को नकार रहे थे । मगर आज वही लोग 1990 से भी बदतर हालात बता रहे हैं काश्मीर के । इसे ही दोगलापन कहा गया है शास्त्रों में । 

सरकार के विरुद्ध चौतरफा आक्रमण होने लगा । चीन, पाकिस्तान और कुछ अरब देशों ने अपना अभियान शुरू कर दिया था । कुछ खैराती चैनल्स अपनी डुगडुगी बजा रहे थे । विपक्षी नेता हर बार की तरह चीन और पाकिस्तान की गोदी में बैठकर राग गद्दारी अलाप रहे थे तो कुछ लिबरल्स, सेकुलर्स, तथाकथित कलाकार, अर्थशास्त्री अपने अपने आकाओं का ऋण चुका रहे थे । 

महामहिम राज्यपाल और जम्मू-कश्मीर राज्य के बड़े अधिकारियों के लिए यह दौर बहुत ही चुनौतीपूर्ण था । अब आतंकवादियों और उनके मददगारों का वो हाल करना था जिससे उनकी और उनके हमदर्दों की रूह कांप जाये और सुरक्षा बलों की कार्रवाई न्यायालयों में भी बेदाग साबित हो जाये । यह तो तय है कि बहुत सारे "पिठ्ठू" तैयार बैठे हैं हर एनकाउंटर को न्यायालयों में घसीटने के लिये । इसलिए न्यायालयों से भी पाक साफ बच निकलने वाली योजना पर काम शुरु किया गया । 

महामहिम और सुरक्षा बलों ने बड़े संयम से काम लिया और सबसे पहले एक योजना के तहत "टार्गेट किलिंग" के आरोपों को नकारना शुरू किया । इन हत्याओं को सामान्य घटना बताना शुरू कर दिया । यद्यपि इससे बहुसंख्यक समुदाय में बहुत आक्रोश पनपा लेकिन "बड़े उद्देश्य के लिए कभी कभी अपयश भी झेलना पड़ता है" सोचकर चुपचाप अपने काम को अंजाम देने में जुटे रहे अधिकारीगण । 

सूचना तंत्र को चुस्त दुरुस्त कर उन सभी आतंकवादियों की पहचान कर ली गई । उनमें से एक पाकिस्तानी और तीन भारतीय थे । लाख टके का सवाल था कि यह पाकिस्तानी आया कैसे ? इसका मतलब है कि बी एस एफ में भी कोई न कोई गद्दार बैठा है जो देश के विरुद्ध षड्यंत्र रच रहा है । इसके अलावा इन आतंकवादियों की किस किसने मदद की ? ये लोग कहां ठहरे ? ऐसे लोगों की पहचान होना बहुत जरूरी है । जब तक इन आस्तीन के सांपों को मारकर जलाया नहीं जायेगा तब तक देश सुरक्षित नहीं हो सकता है । 

एक सघन ऑपरेशन चलाया गया जिसका नाम रखा गया "ऑपरेशन ऑलआउट" । इस ऑपरेशन के तहत एक एक कर तीन आतंकवादियों को जिंदा पकड़ लिया गया और एक आतंकवादी ने खुद को गोली मार ली । तीनों आतंकवादियों से कड़ी पूछताछ की गई जिससे पता चला कि बी एस एफ के दो जवानों ने "हनीट्रैप" में फंसकर एक पाकिस्तानी आतंकवादी को भारतीय सीमा में घुसाया था । उन दोनों जवानों को पाकिस्तानी सीमा पर ले जाकर एनकाउंटर में मार गिराया । दूसरे दिन समाचार छपा "पाकिस्तान की गोलाबारी में दो जवान शहीद" । पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनकी अंत्येष्टि की गई और उनके परिवार को नियमानुसार आर्थिक मदद दे दी गई । 

दोनों आतंकवादियों से सूचना के आधार पर राज्य के ही 15 लोगों को चिन्हित किया गया जिन्होंने उनकी मदद की थी । इन सबको हिरासत में लेकर एक आतंकवादी के मकान पर ले जाया गया । उस मकान में उस आतंकवादी के परिवार के भी तीन लोग थे । इन सत्रह आतंकवादियों को उस मकान में छोड़ दिया गया और सेना ने उस मकान को चारों ओर से घेर लिया । न्यूज चैनल्स पर ब्रेकिंग न्यूज चलने लगी "एक मकान में 20 आतंकवादी छुपे हुए हैं । सेना ने उन्हें घेर लिया है । वे सेना पर लगातार गोलियां बरसा रहे हैं लेकिन सेना अभी संयम से काम ले रही है और उन्हें आत्म समर्पण कर बाहर आने के लिए प्रोत्साहित कर रही है । आतंकवादी सेना की बात नहीं मान रहे हैं और छुप छुपकर सेना पर,गोलीबारी कर रहे हैं । आतंकवादियों की गोली से कुछ जवान घायल हो गये हैं पर सेना पूर्ण संयम बरते हुए है । कुछ जवान घर में घुसने की कोशिश कर रहे हैं मगर आतंकवादियों द्वारा फेंके जाने वाले बमों के कारण वे सफल नहीं हो पा रहे हैं । उस मकान को बम से उड़ाने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं बचा है । सेना ने ऐलान कर दिया है कि सभी आतंकवादी आत्म समर्पण करके बाहर आ जायें नहीं तो मकान उड़ा दिया जायेगा । मगर कोई बाहर नहीं आया तब सेना ने एक रॉकेट लॉंचर से उस मकान को उड़ा दिया जिससे बीसों आतंकवादी उस मकान में ही जिंदा दफन हो गये । 

कुछ "पिठ्ठुओं" ने सुप्रीम कोर्ट में इस घटना के खिलाफ अनेक जनहित याचिकाऐं लगा दी है जिन पर सुनवाई करने को सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है । इस ऑपरेशन से आतंकवादियों और उनके हमदर्दों में भय व्याप्त हो गया है और राज्य में अब अमन चैन कायम हो गया है । 

श्री हरि 
5.1.23 

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8 Comments

प्रिशा

04-Feb-2023 09:33 PM

Very nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

05-Feb-2023 02:31 AM

हार्दिक अभिनंदन मैम

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Rajeev kumar jha

07-Jan-2023 07:20 PM

शानदार

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Hari Shanker Goyal "Hari"

05-Feb-2023 02:31 AM

धन्यवाद जी

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Gunjan Kamal

06-Jan-2023 12:04 AM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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Hari Shanker Goyal "Hari"

07-Jan-2023 10:02 AM

धन्यवाद मैम

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